नई दिल्ली (संवाददाता): स्कूलों में होने वाली PTM की शुरूआत शिक्षा में सुधार व छात्रों के कल्याण के लिए की गई थी, लेकिन इन दिनों PTM के कारण छात्रों पर अनजाने भय का वातावरण क्यों बना है, छात्रों द्वारा PTM को टालने के लिए किसी की हत्या तक कर दी जाए, अध्यापकों पर जानलेवा हमले होने लगें, छात्रों में बढ़ती इस प्रकार की सोच के बारे मुनि इंटरनेशनल स्कूल के प्रबंधक डॉ. अशोक कुमार ठाकुर से जाना कि इन दिनों छात्रों में बढ़ती असामाजिक गतिविधियों के कारण शिक्षा जगत में बने अविश्वास के माहौल से कैसे निजात पाएं?
इस मुद्दे पर डॉ. अशोक कुमार ठाकुर ने बताया कि हमारे मुनि इंटरनेशनल स्कूल में तो PTM को आरंभ से ही कृतज्ञता दिवस के रूप में मनाया जाता, क्योंकि PTM के दौरान अभिभावकों के समक्ष छात्रों के सराहनीय कार्यो व व्यवहार के बारे में बताया जाना जरूरी है। ताकि छात्र सकारात्मक सोच के साथ हर समय बेहतर करने की ओर अग्रसर रहे। यदि ऐसा नहीं किया गया तो छात्र अपने अन्दर पनप रही नकारात्मक सोच के वातावरण के कारण समाज में बहुत धातक स्थिति पैदा कर सकता है।
जिसके जीते जागते उदाहरण आए दिन हमें समाचार-पत्रों में पढ़ने को मिलते हैं, हाल ही में गुरूगाम के रेयान स्कूल में हुआ प्रद्युमन हत्या कांड हो और नजफगढ़ में एक छात्र द्वारा साजिस के तहत अपने ही अध्यापक पर दराती से किया गया जानलेवा हमला हो।
ये दोनों ही घटनाएं इस बात को समझने के लिए काफी है कि आज कोई भी छात्र अपनी कमियों को दूसरों के सामने उजागर नहीं होने देना चाहता। इसी का परिणाम है कि जब कोई अध्यापक या अभिभावक छात्र की कमियों पर दूसरों के समक्ष चर्चा करते हैं तो छात्र को बुरा लगता है, छात्र मन ही मन अपने अध्यापकों व माता-पिता को कोसने लगता है।
इसी सोच का परिणाम है कि आज छात्र स्कूलों में होने वाली PTM जैसी बेहतरीन गतिविधि को रोकने के लिए अपने ही स्कूल के छात्र की हत्या तक कर देता। इन सब बातों पर हमें गंभीरता से विचार करना होगा, अन्यथा शिक्षण संस्थानों में हालात और बिगड़ सकते हैं।