सुरहेङा के निगम स्कूल में काउंस्लिंग के लिए पहुंचे अभिभावकों का छात्रों ने किया स्वागत
नई दिल्ली - परीक्षा में अधिक अंक लेना ही विद्यार्थी की गुणवत्ता का पैमाना नहीं है और ना ही यह सिद्ध होता की अधिक अंक लेने वाला छात्र ही अधिक काबिल होगा कोई अन्य नहीं, अभिभावकों की यह सोच बदलनी होगी। इसी संदेश को अभिभावकों तक पहुंचाने के लिए सुरहेङा के निगम स्कूल में एकलव्य सोसायटी के प्रयास से अभिभावकों की काउंस्लिंग का आयोजन किया गया।
इस बारे में जानकारी देते हुए एकलव्य सोसायटी की इंचार्ज ज्योती ने बताया कि अकसर देखा जाता है कि परीक्षा का समय नजदीक आते ही अभिभावकों द्वारा पढ़ाई करने वाले छात्रों पर अधिक अंक लेने का दबाव बनाया जाता है, जो एकदम गलत है।
क्योंकि हर छात्र की अपनी-अपनी योग्यता और प्रतिभा होती है, इस लिए छात्रों पर अधिक अंक लाने या अन्य बच्चों के साथ तुलना करने की बजाए उसकी खुद की गुणवत्ता को निखारने के प्रयास और उसके द्वारा किए जाने वाले कार्यो की सराहना की जानी चाहिए। माता-पिता द्वारा छात्रों को घरों में सकारात्मक माहौल दें, उनके साथ दोस्ताना व्यवहार करें, उन्हें सदैव बेहतर करने के लिए प्रेरित करें अन्यथा छात्रों में हीन भावना बढ़ेगी और छात्र अभिभावकों के खिलाफ ही अपराध करने के लिए साजिसें रचेंगे। काउंस्लिंग के दौरान इन सब बातों पर अभिभावकों के साथ गंभीरता से चर्चा करते हुए उ्नहें समझाया गया कि छात्रों की पीटने या धमकाने से वो जिद्दी बनते हैं, उन्हें केवल प्यार से ही समझाएं।
ज्योति ने बताया कि हमारा उद्देश्य स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को बेहतर शिक्षा के साथ सु-संस्कार देना तथा उनको समाजिक जिम्मेदारी भी बताना है। ताकि वो आगे चलकर देश के सभ्य नागरिक बन सकें।
उन्होंने बताया कि निगम स्कूल को एकलव्य सोसायटी ने पीपीपी मॉडल के तहत गोद लिया है और यहां पर मुनि इंटरनेशनल स्कूल की शिक्षण प्रणाली के अनुसार छात्रों को शिक्षा दी जाती है।
स्कूल प्रबंधक डॉ. अशोक कुमार ठाकुर की प्रेरणा से छात्र हित व समाज कल्याण को ध्यान में रखते हुए इस प्रकार के बहुत से कार्यक्रम चलाए जाते हैं, ताकि छात्र केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रहें, बल्कि अपनी प्रतिभा को साबित करें और समाज में श्रेष्ठ नागरिक बनकर समाज व देश के विकास में योगदान दें।
इस मौके पर काउंस्लिंग के लिए स्कूल आए अभिभावकों ने अपनी विभिन्न शंकाओं का समाधान किया और छात्रों को घर में सकारात्मक माहौल देने तथा स्कूल व शिक्षकों को पूरा सहयोग करने के लिए सहमती दी।
अभिभावकों ने माना कि स्कूल पहले से काफी बेहतर कर रहा, छात्रों की शिक्षा और उनके व्यवहार में काफी बदलाव आए हैं। जो छात्र पहले स्कूल आने में घबराते थे, वो अब चाव से स्कूल आते हैं। जिन छात्रों को ठीक से शुद्ध हिंदी भी बोलनी नहीं आती थी, वो आज शानदार तरीके से अंग्रेजी के शब्दों को बोलते हैं, लिखते हैं। इसके अलावा यहां सिखाई जाने वाली जापानी भाषा को भी सीखते हैं।
जीवन विद्या के सूत्रों व घरेलू उपचार के माध्यमों पर घरों में जा कर माता-पिता के साथ चर्चा करते हैं। कुछ छात्रों ने तो अपने माता-पिता को अंग्रेजी के शब्द बोलने और नाम लिखना भी सिखाया हैं। स्कूल आए अभिभावक काफी खुश थे और स्कूल की गतिविधियों संतुष्ट नजर आए।
सुरहेङा निगम स्कूल इंचार्ज मीना कुमारी ने बताया कि हमारे स्कूल को एकलव्य सोसायटी ने पीपीपी मॉडल के तहत गोद लिया है और एकलव्य सोसायटी के प्रयासों से ही अभिभावकों की काउंस्लिंग का यह कार्यक्रम शुरू किया गया। स्कूल के इस प्रयास की अभिभावकों ने काफी तारीफ की और माना है कि हम बच्चों पर अधिक अंक लेने का दबाव नहीं बनाएंगे, उनके कार्यों की सराहना करते हुए उनकी अच्छाईयों पर चर्चा करेंगे।