नई दिल्ली - देश के विख्यात मुनि इंटरनेशनल स्कूल संस्थापक एवं शिक्षाविद् डॉ. अशोक कुमार ठाकुर आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। शिक्षा जगत में किए गए 40 से अधिक नवाचारों के माध्यम से देश-विदेश में मुनि इंटरनेशनल स्कूल आज एक मॉडल के रूप में जाना जाता है।
यही कारण है कि आज देश-विदेश के विभिन्न शिक्षण संस्थानों द्वारा उन्हें आमंत्रित किया जाता है, ताकि उनकी सोच को सुना जाए। अध्यापकों को बेहतर करने का प्रशिक्षण तथा छात्रों को प्रेरणा देने के लिए समय-समय पर बुलाया जाता है।
इसी कड़ी में मुनि स्कूल संस्थापक डॉ. अशोक ठाकुर 13 दिसंबर को हरियाणा के फिरोजपुर झिरका गलर्ज़ सी.सै. स्कूल पहुंचे, जहां स्कूल प्रधानाचार्य समेत अन्य शिक्षकों व छात्राओं ने उनका भव्य स्वागत किया।
इसके बाद उन्होंने डॉ. अशोक ठाकुर ने फिरोजपुर झिरका के शिक्षकों को बताए बेहतर शिक्षा देने के टिप्स बताए। श्री ठाकुर ने कहा कि आज स्कूलों में पढ़ाई जा रही पारंपरिक शिक्षा के सहारे देश के युवाओं को काबिल बनाना आसान नहीं, इस लिए अध्यापकों को पढ़ाने के तरीके बदलने होंगे, छात्रों को किताबी ज्ञान से हट कर व्यवहारिक ज्ञान भी कराना जरूरी है। उन्होंने वैल्यू एजूकेशन और स्किल पर चर्चा करते हुए कहाकि आज शिक्षण संस्थानों से वैल्यू एजुकेशन और स्किल के गायब होने का परिणाम है कि देश में हर वर्ष लाखों डिग्रीधारी बेरोजगार युवाओं की फौज हमारे समाने होती है।
डॉ. अशोक कुमार ठाकुर ने कहाकि यदि युवाओं को हुनरमंद बना दिया जाए तो बेरोजगारी पर अंकुश लग सकता है। इसकी शुरूआत स्कूलों से की जानी चाहिए। उन्होंने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहाकि वो दिन प्रति-दिन अपनी गुणवत्ता को बढ़ाने का प्रयास करें, अधिक अंकों की बजाय अपने अंदर छुपी खास प्रतिभा को समझें।
स्कूल के माध्यम से किए विभिन्न अनूठे प्रयोगों को हर तरफ मिली सफलता के बाद आज देश-विदेश के दूसरे स्कूल भी मुनि स्कूल की शिक्षण-प्रशिक्षण पद्दति को अपना रहे हैं।
देश का वह शिक्षण संस्थान है जो अपनी कार्यक्षमता व शिक्षा क्षेत्र में किए गए नवाचारों के बल पर देश-विदेश में पहचान बना चुका है। यह स्कूल आज देश ही नहीं विदेश के लोगों के लिए जिज्ञासा का केंद्र बन चुका है। मुनि स्कूल के इस मॉडल को देखने-समझने के लिए लोग आए दिन यहां विजिट करते हैं।