हमें मुनि स्कूल चाहिए न कि संस्कार विहिन युवाओं की भीड़ पैदा करने वाले - आचार्य चांद सिंह
नई दिल्ली - मुनि इंटरनेशनल स्कूल की शिक्षण पद्दति को जानने व समझने के लिए स्कूल पहुंचे एआरएसडी आत्मशुद्धि आश्रम के प्रधान संचालक आचार्य चांद सिंह ने अपने सहयोगियों के साथ स्कूल का भ्रमण किया। विभिन्न प्रकार की गतिविधियों को जानने के लिए कक्षाओं में जाकर छात्रों से मुलाकात की। यहां के पठन-पाठन की विधि को जाना। इसके बाद स्कूल संस्थापक डॉ. अशोक कुमार ठाकुर से स्कूल की मैथोडॉलोजी को समझा।
स्कूल के बारे में अपने विचार रखते हुए आचार्य चांद सिंह ने कहा कि हम अपने आपको मॉडर्न या आधुनिक कहलाने के चक्कर में अपनी कला-संस्कृति व परंपराओं से दूर हो रहे हैं, जो हमारी संस्कृति के लिए खतरा साबित हो सकता है।
लेकिन मुनि इंटरनेशनल स्कूल में आकर देखा तो पाया कि यहां आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ भारतीय परंपराओं और नैतिक मूल्यों को बचाने का भरपूर प्रयास किया जा रहा है। यहां छात्रों को पढ़ाई के बाद नौकर बनाने की शिक्षा नहीं दी जाती, बल्कि उन्हें मालिक बनने व रोजगार सर्जन के लिए तैयार किया जता है।
स्कूल संस्थापक डॉ. अशोक कुमार ठाकुर की प्ररेणा व सोच का ही फल है कि आज यहां भविष्य की जरूरत के मुताबिक युवाओं को तैयार किया जा रहा है, छात्रों को सात विदेशी भषाएं सीखने का अवसर देना, पुस्तकों की बजाय टेबलेट से पढ़ाया जाना, हर माह दो ज्ञान मेलों का अयोजन करना, टेबलेट रिपेयर के लिए स्कूल की लैब में प्रशिक्षण देना, छात्रों द्वारा सप्ताह में एक दिन कैंटीन का संचालन करना, फलों-सब्जियों और पेड़-पौधों की जानकारी के अलावा स्वास्थ्य लाभ के लिए घरेलू नुस्खे तथा एक्यूप्रेसर का प्रशिक्षण देना आदि सही मायने में इस स्कूल को अन्य स्कूलों से खास बनाता है।
आचार्य चांद सिंह ने माना कि हमें देश में मुनि स्कूलों की आवश्यकता हैं, न कि आधुनिकता की दौङ में संस्कार विहिन युवाओं की भीड़ पैदा करने वाले स्कूलों की। मुनि स्कूल छात्रों को शिक्षित ही नहीं कर रहा बल्कि उनके चहुमुखी विकास को ध्यान में रखते हुए शिक्षा देता है।